Hindi & Other Indian Languages Posted by Nitin Kumar on Sep 29, 2010 in Hindi Language
Hindi and other Indian languages
For many unfamiliar with India and the Hindi language, a common misconception is that Hindi is India’s only national language and there are no other languages representative of the diverse country. Today, over 300 languages are spoken in India across its 28 states and 7 union territories. In fact, neither the Indian Constitution nor Indian law declares any national languages. However, the Union Government (Indian Government) declares Hindi as its official language and English as a secondary language. Additionally there are 21 scheduled languages determined by region. Hence India has a three language formula in place. Read on to learn more about how this came to be. You may wonder why Hindi is not considered the national language of India even when it is spoken by the majority of Indians. You may also wonder what polices were implemented by the Union government after India gained its independence from Britain in 1947 and how this affected Hindi and other major Indian languages. After India gained it’s independence in 1947, English was the lingua franca in the country. When the Indian constitution came into effect, at the same time the Indian government thought Hindi as a succesive national language of independent India and decided to increase its use in all official works. In 1956, India faced a major reform known as the State Reorganization Act in which states were formed on a linguistic basis. Around that time, the Union Government proposed to phase out English and implement a complete transition to Hindi. The Official Languages Commission (OLC) urged the Union government to implement the change as quickly as possible, so as to reduce complexities during the transition period. A 15 year deadline was set by the Official Languages Commission (OLC). The Union government, accordingly, stepped up its administrative efforts to meet the 15 year deadline. To the detriment of the Union Government, by 1959 it became clear that the fifteen-year deadline for the transition to Hindi was unattainable. In September 1959, the Home Minister announced to Parliament that it would not be possible to phase out English completely until 1965. Stay tuned to learn how 1965 proved to be a gruesome year for the Indian linguistic history…. |
हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाए
भारत के साथ कई अपरिचित के लिए एक यह एक आम गलतफहमी है कि हिन्दी भारत की राष्ट्रीय भाषा है और भारत जैसे विविध देश की कोई अन्य भाषा नही हैं। आज भारत में 28 राज्यों और 7 संघ राज्य क्षेत्रों में 300 से अधिक भाषाओं बोली जाती हैं। वास्तव में, न तो भारतीय संविधान और न ही भारतीय कानून किसी राष्ट्रीय भाषा की घोषणा करता हैं। बहरहाल, केन्द्रीय सरकार (भारत सरकार) ने अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में हिन्दी भाषा और माध्यमिक भाषा के रूप में अंग्रेजी भाषा की घोषणा की। इसके अलावा भारत में 21 अनुसूचित भाषाएं क्षेत्र के अनुरूप निर्धारित हैं. भारत तीन-भाषा सूत्र अपनाए हुए है। आईए यह जाने की यह तीन-भाषा सूत्र कैसे और क्यों लागू किया गया। आप यह जानकर आश्चर्य कर सकते है की हिन्दी भारत में बहुसंख्यकों की भाषा है तभी भी यह भारत की राष्ट्रीय भाषा नहीं हैं। भारत की ब्रिटेन से सन 1947 में अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से भाषा से संबंधित क्या नीति रही और इन नीतियों ने हिन्दी और अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं को कैसे प्रभावित किया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद भी अंग्रेजी देश भर में लोक-भाषा के रूप में प्रयोग की जाती थी। जब देश का सविधान लागू किया गया उस ही समय भारत सरकार ने हिन्दी को आगे आने वाली भाषा के रूप में देखते हुए देश में हिन्दी को आधिक से आधिक प्रशासनिक संचार में प्रयोग करने का निर्णय किया। सन 1956 में, भारत में एक महत्वपूर्ण राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तेहेत भारत में राज्यों को एक भाषायी आधार पर गठन किया गया। उस समय, केंद्र सरकार ने अंग्रेजी को चरण-बद रूप से बाहर कर सारे आधिकारिक काम हिन्दी में करने का प्रस्ताव रखा। राजभाषा आयोग ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि अंग्रेजी से हिन्दी में आधिकारिक भाषा के रूप में परिवर्तन को जल्दी से जल्दी लागू किया जाए, ताकि भाषा से संबंधित परिवर्तन की अवधि के दौरान की जटिलताओं को कम से कम रखा जा सके। इस के लिए राजभाषा आयोग द्वारा एक 15 साल की समय सीमा स्थापित की गयी. केंद्र सरकार भी इस काम के लिए तदनुसार आपने प्रशासनिक प्रयास जारी रखे। केंद्र सरकार की आशा के विरुद्ध, सन 1959 तक यह स्पष्ट हो गया कि भाषा के परिवर्तन के लिए पंद्रह वर्ष की समय सीमा पर्याप्त नही थी। सन 1959 के सितंबर में गृह मंत्री ने संसद में घोषणा की कि वह सन 1965 तक अंग्रेजी को पूरी तरह से चरण-बद रूप से बाहर करना संभव नहीं होगा। अगली पोस्ट में हम यह जानेगे की केसे सन 1965, भारत के भाषा संबंधित इतिहास में एक बुरा वर्ष रहा… |
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