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Ae Mere Vatan Ke Logo Posted by on Jan 31, 2022 in Film & Theater, Music

Indian Soldier and Flag

Photo Courtesy: Nicole Herbert Dean

Kavi Pradeep mulled over the Indo Sino war as he walked along the beach in Mahim, Mumbai. The poet, and songwriter, was deeply disturbed at the losses.  It was 1962 and China overwhelmingly defeated India during this intense conflict at 18,000 feet high in the mountainous region of Tibet. Many soldiers lost their lives during the Ind0 Chinese War 1962. They were unprepared for the bitter cold. They did not have the snow goggles, warm clothing or manpower to beat their neighbors to the north.

Pradeep thought about the soldiers and words began to form in his mind. He wanted to write a tribute to the many soldiers that died in the war. As the story goes, he did not even have a piece of paper or pen to write the words that came to his mind. He borrowed a pen from a nearby walker and wrote the first verse on the foil of a cigarette pack. Little did he realize that this song would become an instant hit. It would also become one of the most patriotic songs sung in India.

Kavi Pradeep finished writing the song and got the composer Ramchandran to put music to it. He wanted Lata Mangeshkar, India’s nightingale, to sing it at a fundraiser organized by the producer Mehboob Khan.

So, in 1963 on a cold February evening in Delhi, Lata Mangeshkar sang this song live in front of the then Prime Minister Jawaharlal Nehru at the Republic Day function, leaving him teary-eyed.

ऐ मेरे वतन के लोगों..तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो.. कुछ याद उन्हें भी कर लो.. जो लौट के घर न आए जो लौट के घर न आए ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी जब घायल हुआ हिमालय खतरे में पड़ी आज़ादी जब तक थी साँस लड़े वो जब तक थी साँस लड़े वो फिर अपनी लाश बिछा दी संगीन पे धर कर माथा सो गये अमर बलिदानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी जब देश में थी दीवाली वो खेल रहे थे होली जब हम बैठे थे घरों में जब हम बैठे थे घरों में वो झेल रहे थे गोली

थे धन्य जवान वो अपने थी धन्य वो उनकी जवानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी कोई सिख कोई जाट मराठा कोई सिख कोई जाट मराठा कोई गुरखा कोई मदरासी कोई गुरखा कोई मदरासी सरहद पर मरनेवाला.. सरहद पर मरनेवाला हर वीर था भारतवासी जो खून गिरा पर्वत पर वो खून था हिंदुस्तानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी

थी खून से लथ-पथ काया फिर भी बन्दूक उठाके दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गये होश गँवा के जब अन्त-समय आया तो कह गए के अब मरते हैं जब अन्त-समय आया तो कह गए के अब मरते हैं खुश रहना देश के प्यारों.. खुश रहना देश के प्यारों अब हम तो सफ़र करते हैं अब हम तो सफ़र करते हैं क्या लोग थे वो दीवाने क्या लोग थे वो अभिमानी जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी तुम भूल न जाओ उनको इस लिये कही ये कहानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी जय हिन्द जय हिन्द जय हिन्द की सेना जय हिन्द जय हिन्द जय हिन्द की सेना जय हिन्द जय हिन्द जय हिन्द..

 

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About the Author: Nicole Herbert Dean

Language, Region and Culture Consultant to the Department of Defense and United States Military.